Patna: पश्चिमी चंपारण जिले की गंडक नदी में घड़ियाल बहाली के प्रयासों से उत्साहित बिहार सरकार, लॉस एंजिलिस चिड़ियाघर और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई) ने सरीसृपों के संरक्षण प्रयासों को मजबूत करने और उनके बच्चों को वापस नदी में सुरक्षित छोड़ने पर सहमति जताई है.
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने कही ये बात
बिहार के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन पीके गुप्ता ने बताया ;गंडक नदी में सरीसृपों के प्रजनन को पुनर्जीवित करने के लिए 2014 में डब्ल्यूटीआई के सहयोग से बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई घड़ियाल संरक्षण परियोजना के सकारात्मक परिणाम मिले हैं क्योंकि इस जल निकाय के 284 किमी के दायरे में वर्ष 2014 के सिर्फ 30 की तुलना में 217 मगरमच्छ देखे गए हैं.' उन्होंने कहा, 'घड़ियाल संरक्षण के लिए उभरती चुनौतियों और समाधानों पर हाल ही में यहां एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई थी. इसमें गंडक नदी में घड़ियालों की बहाली की प्रगति, उपलब्धियों और चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया गया.'इस बैठक में डब्ल्यूटीआई के संयुक्त निदेशक समीर कुमार सिन्हा, लॉस एंजिलिस चिड़ियाघर के संरक्षण निदेशक जैकब आर ओवेन्स, इसी चिड़िया घर के सरीसृप और पशु रक्षक जेरोमी एम चेनॉल्ट और क्यूरेटर, लर्निंग एंड एंगेजमेंट मौरा टी मेसर्ली ने भी भाग लिया था. गुप्ता ने बताया कि बैठक में घड़ियालों के संरक्षण के लिए संबंधित विभाग और डब्ल्यूटीआई द्वारा किये गये सहयोगात्मक कार्य पर चर्चा की गई. लॉस एंजिलिस चिड़ियाघर एक्स-सीटू इन्क्यूबेशन के माध्यम चल रहे संरक्षण प्रयासों को मजबूत करने और घड़ियाल के बच्चों को सुरक्षित रूप से नदी में छोड़ने पर सहमत हो गया है. गुप्ता ने कहा कि वे (लॉस एंजिलिस चिड़ियाघर) जल्द ही एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भेजेंगे जिसके बाद एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर होंगे. उन्होंने बताया कि एक्स-सीटू संरक्षण का अर्थ है-ऑफ-साइट संरक्षण. यह लुप्तप्राय प्रजातियों की उनके प्राकृतिक आवास के बाहर रक्षा करने की प्रक्रिया है.
डब्ल्यूटीआई के संयुक्त निदेशक समीर कुमार सिन्हा ने कहा, 'यह बहुत संतोष की बात है कि लॉस एंजिलिस चिड़ियाघर चल रहे संरक्षण प्रयासों को मजबूत करने पर सहमत हो गया है.' उन्होंने कहा कि चंबल अभ्यारण्य क्षेत्र के बाद गंडक नदी भारत में घड़ियालों के लिए दूसरा सफल प्रजनन स्थल बन गई है. सिन्हा ने कहा कि हाल के एक सर्वेक्षण के दौरान जो घड़ियाल दिखे उनमें 37 वयस्क (जिनमें से पांच नर हैं), 50 अवयस्क, 49 किशोर और 81 एक साल से कम उम्र के बच्चे थे. उन्होंने कहा कि इस साल 21 फरवरी से 28 फरवरी तक गंडक बैराज और रीवा घाट के बीच नदी के 284 किमी तक के क्षेत्र में घड़ियाल की संख्या को लेकर निगरानी सर्वेक्षण किया गया था. परियोजना शुरू होने से पहले यह नदी घड़ियालों के लिए नहीं जानी जाती थी.