नयी दिल्ली : प्रतिभाएं अपना रास्ता खुद ब खुद बना लेती हैं. ऐसी ही कहानी है चारुल की. चारुल के पिता शौकीन सिंह ने कहा, मेरा सपना सच हो गया. बिटिया एमबीबीएस की डिग्री हासिल करेगी और ग्रामीणों के लिए काम करेगी." चारुल ने कहा, "मुझे वह समय याद है जब हमारे घर में एक भी रुपया नहीं होता था. अगर हमें कुछ भी खरीदना होता था तो मेरे पिता को उधार लेना पड़ता था. चारुल ने पूरे भारत में 631 अंक हासिल किए. एम्स नई दिल्ली में डॉक्टरों के नए बैच में से एक छात्र, बिजनौर के कीरतपुर गांव के एक खेत मजदूर की बेटी चारुल होनारिया हैं. वह अपने गाँव से उच्च शिक्षा और मेडिकल की पढ़ाई करने वाली पहली शख्स हैं. महामारी के कारण उन्होंने घर से ही ऑनलाइन पढ़ाई की. हर सुबह 10 बजे, वह एक चटाई पर बैठती है और स्मार्टफोन के जरिए ऑनलाइन क्लास लेती थीं.