प्रकाश झा को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत, पैसे लेकर मॉल में जगह नहीं देने का था आरोप

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रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने फिल्म निर्माता और निर्देशक प्रकाश झा के खिलाफ जमीन विवाद से जुड़े मामले में रांची में दर्ज एफआईआर को निरस्त करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने इसे सिविल नेचर का विवाद माना है और कहा है कि निचली अदालत इस मामले में लंबित टाइटल सूट पर इस फैसले से प्रभावित हुए बगैर विधि-सम्मत तरीके से सुनवाई करेगी. दरअसल, जमशेदपुर में प्रकाश झा की ओर से मॉल का निर्माण कराया जा रहा था. इसमें 10 हजार वर्ग फुट स्पेस खरीदने को लेकर क्लासिक मल्टीप्लेक्स प्रा. लि. के सीएमडी पवन कुमार सिंह ने प्रकाश झा के साथ एग्रीमेंट किया था. इसके लिए उन्हें 20 लाख रुपये का बैंक ड्राफ्ट सौंपा गया था.शिकायतकर्ता पवन कुमार सिंह का आरोप है कि एग्रीमेंट के बाद भी उन्हें मॉल में स्पेस नहीं दिया गया. इसे लेकर उन्होंने धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए रांची के सिविल कोर्ट में शिकायत वाद दायर किया था, जिसके आधार पर प्रकाश झा के खिलाफ रांची के कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. इस पर जनवरी 2018 में अदालत ने प्रकाश झा के खिलाफ संज्ञान लिया था. प्रकाश झा ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में शरण ली थी. इस बीच पुलिस ने इस मामले की जांच कर फाइनल रिपोर्ट निचली कोर्ट में जमा कर दी थी और कहा था कि इस मामले में आपराधिक मामला नहीं बनता है, क्योंकि यह सिविल विवाद से जुड़ा हुआ है।सिविल कोर्ट के संज्ञान के खिलाफ प्रकाश झा की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में दायर क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका पर जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट में सुनवाई हुई. प्रकाश झा की ओर से पक्ष रखते हुए उनके अधिवक्ता उमेश प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रकाश झा को जो 20 लाख रुपए मूल्य के तीन ड्राफ्ट दिए गए थे, उन्हें भुनाया नहीं गया है. पुलिस की जांच में यह सामने आ चुका है कि यह सिविल नेचर का विवाद है. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद एफआईआर को निरस्त करने का आदेश दिया.

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