रांची: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों पर नियुक्ति से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए कुछ अहम निर्देश दिए हैं. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि नेता प्रतिपक्ष न होने से सूचना आयोग में नियुक्ति पर निर्णय लेने वाली चयन समिति की बैठक नहीं हो पाई है. बता दें कि नेता प्रतिपक्ष चयन समिति के सदस्य होते हैं, लेकिन फिलहाल राज्य विधानसभा में यह स्थान रिक्त है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि राज्य विधानसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी अपने किसी निर्वाचित सदस्य को नेता विपक्ष के तौर पर नॉमिनेट करे.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा है कि सूचना आयोग में नियुक्ति पर निर्णय लेने वाली सेलेक्शन कमेटी के लिए विपक्ष के नेता को नॉमिनेट करने की प्रक्रिया दो सप्ताह में पूरी हो जानी चाहिए. सेलेक्शन कमेटी इसके तुरंत बाद मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेगी. सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने आदेश के अनुपालन को लेकर झारखंड के मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे तय करें कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया चार सप्ताह में शुरू हो और इस निर्देश के अनुपालन का हलफनामा दायर किया जाए. झारखंड सरकार के वकील ने दलील दी थी कि चयन समिति में अपेक्षित कोरम का अभाव था और इस वजह से झारखंड में सूचना आयुक्तों की नियुक्तियां नहीं की जा सकी हैं.
अब सरकार की ओर से कोर्ट में दाखिल पूरक हलफनामे में बताया गया है कि सूचना आयोग में नियुक्तियों के लिए जून 2024 को एक विज्ञापन दिया गया था, लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद नेता प्रतिपक्ष की घोषणा नहीं की जा सकी है. दूसरी तरफ याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया है कि झारखंड में 2020 से राज्य सूचना आयोग निष्क्रिय है. मुख्य सूचना आयुक्त, सूचना आयुक्त सहित कई पद रिक्त हैं. इस वजह से आरटीआई से संबंधित हजारों केस पेंडिंग हो गए हैं.