रांची : झारखंड में स्टोन चिप्स ढ़ोने वाली गाड़ियों की रफ्तार ने प्रशासनिक तंत्र को सवालों के घेरे में ला दिया है। महालेखाकार की ओर से की गई जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, 20 से 25 किलोमीटर दूरी तय करने के लिए इन गाड़ियों का चालान महज़ 11 से 14 सेकंड के अंतराल पर जारी किया गया। इतना ही नहीं, पांच गाड़ियां ऐसी भी पाई गईं, जिन्होंने 105 से 299 किलोमीटर तक की दूरी 19 मिनट, छह मिनट और दो घंटे में तय कर ली।
महालेखाकार ने चतरा, धनबाद, पाकुड़ और पलामू जिलों में नमूना जांच की। इसमें पाया गया कि 28 गाड़ियों पर पहले 35 चालान जारी किए गए, लेकिन इनकी अवधि समाप्त होने से पहले ही इन्हीं गाड़ियों पर अतिरिक्त 50 चालान महज़ कुछ सेकंड के अंतराल पर जारी कर दिए गए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि JIMMS (Jharkhand Integrated Mines and Mineral Management System) पोर्टल पर केवल 14.5% गाड़ियों का ही चालान दर्ज है, जबकि 65% ढुलाई का ब्योरा उपलब्ध ही नहीं है। इससे साफ है कि खनिज ढुलाई में बड़े पैमाने पर अनियमितता हो रही है।
महालेखाकार ने इसे झारखंड (Prevention of Illegal Mining, Transportation and Storage) Rule 2017 का उल्लंघन बताया है। नियमों के अनुसार ढुलाई करने वाले वाहनों का JIMMS पोर्टल पर निबंधन आवश्यक है और उन्हें GPS तथा RFID सिस्टम से लैस किया जाना चाहिए था। मगर जांच से स्पष्ट है कि इन नियमों का पालन नहीं किया गया।
अब देखना होगा कि इस रिपोर्ट के बाद सरकार व प्रशासन अवैध खनन और परिवहन पर रोक लगाने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है।