झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में लंबे समय से लंबित नगर निगम और नगर निकाय चुनावों पर गंभीर रुख अपनाते हुए सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग से रिपोर्ट मांगी है. अदालत ने आयोग से पूछा है कि झारखंड में नगर निकाय चुनाव कब तक कराए जाएंगे और उनकी संभावित तिथियां क्या होंगी. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि आयोग बताए कि आखिर किन कारणों से अब तक चुनाव की घोषणा नहीं हो पाई है और इस दिशा में सरकार की क्या भूमिका है.
जस्टिस आनंदा सेन की एकलपीठ ने यह आदेश उस अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें नगर निकाय चुनाव में देरी पर सवाल उठाए गए हैं. अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 24 नवंबर तय की है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार दोनों को मिलकर यह बताना होगा कि चुनाव प्रक्रिया में देरी क्यों हो रही है और इसे जल्द शुरू करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए कराए गए “ट्रिपल टेस्ट” की रिपोर्ट राज्य निर्वाचन आयोग को सौंप दी गई है. उन्होंने कहा कि आयोग ने सीटों के आरक्षण और जनसंख्या सूची से जुड़ी कुछ अतिरिक्त जानकारी मांगी है, जिसे जल्द उपलब्ध कराया जाएगा. इसके बाद चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी.
वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने अदालत को बताया कि सरकार की ओर से सीटों के आरक्षण से संबंधित स्पष्ट रिपोर्ट अब तक आयोग को नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि जैसे ही यह रिपोर्ट मिल जाएगी, आयोग चुनाव की तैयारियां शुरू कर देगा. आयोग ने कहा कि पूरी प्रक्रिया में करीब तीन महीने का समय लगेगा.
इस मामले में याचिकाकर्ता रोशनी खलखो और रीना कुमारी की ओर से अधिवक्ता विनोद कुमार सिंह ने पक्ष रखा. उन्होंने अदालत से मांग की कि नगर निकाय चुनाव कराने के पहले दिए गए आदेश का पालन नहीं किया गया है, इसलिए अवमानना की कार्रवाई की जाए. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि अदालत ने 4 जनवरी 2024 को ही सभी नगर निकायों के चुनाव तीन सप्ताह के भीतर कराने का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हुआ है.
झारखंड में कुल 48 शहरी निकाय हैं, जिनमें 12 निकायों के चुनाव जून 2020 से लंबित हैं. बाकी नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हो चुका है. इसके बावजूद अब तक चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं की गई है. अदालत ने इस स्थिति पर नाराजगी जताई और कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को निष्क्रिय नहीं रहने दिया जा सकता.