झारखंड में JPSC रिजल्ट में देरी पर अभ्यर्थियों का विरोध तेज, आयोग के दफ्तर के बाहर धरना जारी

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झारखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के परिणाम लंबे समय से जारी न होने के कारण अभ्यर्थियों का धैर्य टूट गया है. फूड सेफ्टी ऑफिसर और चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर जैसी अहम परीक्षाओं के रिजल्ट एक वर्ष से अधिक समय से अटके हुए हैं. इसी के विरोध में अभ्यर्थियों ने सोमवार को जेपीएससी कार्यालय के बाहर बैठकर शांतिपूर्ण सत्याग्रह की शुरुआत की.

अभ्यर्थियों ने बताया कि इन परीक्षाओं की प्रक्रिया वर्ष 2023 में शुरू हुई थी और मुख्य परीक्षा 2024 में संपन्न हो गई थी. इसके बावजूद आयोग की ओर से न तो कोई तय समय-सीमा दी जा रही है और न ही रिजल्ट जारी किए जा रहे हैं. छात्रों का कहना है कि लगातार देरी से उनका भविष्य अधर में है और वे मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं.

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि जेपीएससी का परीक्षा कैलेंडर पूरी तरह असफल साबित हुआ है. निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार न परीक्षाएँ समय पर हुईं और न ही परिणाम घोषित किए गए. छात्रों के अनुसार, आयोग की इस ढिलाई का सीधा असर उनकी उम्र सीमा, नौकरी के अवसर और तैयारी पर पड़ रहा है.

अभ्यर्थियों के एक प्रतिनिधि दल ने आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की. अधिकारियों ने जल्द रिजल्ट जारी करने का आश्वासन दोहराया, लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यही बात कई महीनों से कही जा रही है और अब इस पर भरोसा करना मुश्किल हो गया है. वे लिखित घोषणा की मांग पर अड़े हुए हैं.

अभ्यर्थियों ने पूछा कि जब परीक्षा हो चुकी है, उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पूरा बताया जा चुका है और किसी तकनीकी बाधा का जिक्र भी नहीं है, तो फिर देरी क्यों हो रही है. छात्रों का कहना है कि पारदर्शिता की कमी से आयोग पर से विश्वास कम हो रहा है.

धरने पर बैठे छात्रों ने "रिजल्ट जारी करो" और "जेपीएससी जवाब दो" जैसे नारे लगाए. उन्होंने कहा कि प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक आयोग रिजल्ट जारी करने की लिखित और स्पष्ट तिथि घोषित नहीं करता.

जैसे-जैसे दिन गुजर रहे हैं, विरोध में शामिल अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है. छात्रों का कहना है कि वे रोजगार के इंतजार में वर्षों लगा चुके हैं और अब और देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

अब तक आयोग की तरफ से इस पूरे मामले पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया गया है. अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर स्थिति यही रही तो वे आंदोलन को और व्यापक स्तर पर ले जाएंगे.


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