आपके मासूम बच्चों की हो सकती है चोरी! रेलवे स्टेशनों पर रात को सोते हैं तो सावधान हो जाइए

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दो महीने पहले 4 महीने के मासूम का हाजीपुर रेलवे स्टेशन से अपहरण कर लिया गया था. मासूम बच्चे की बरामदगी को लेकर रेल पुलिस दो महीने तक बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक खाक छानती रही. अब मासूम बच्चे को समस्तीपुर जिले के पटोरी से सुरक्षित बरामद किया गया है. रेल पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, टावर डंपिंग के आधार पर बच्चे को बरामद किया है. मुजफ्फरपुर रेल पुलिस ने इस मामले में अब तक 3 महिला समेत 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि, अपहरण केस का मास्टरमाइंड एक निजी डॉक्टर अब भी फरार है. उसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.

रेल एसपी ने इस मामले में बताया कि बीते 3 अक्टूबर को हाजीपुर जंक्शन पर सुमित कुमार, पत्नी और तीन बच्चों के साथ सो रहे थे. सुबह जब नींद खुली तो उनका 4 माह का छोटा बेटा फहीम उर्फ़ राजाबाबू गायब था. सुमित ने हाजीपुर रेल थाने में बेटे के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पुलिस ने जब इस मामले की जांच शुरू की तो सीसीटीवी में एक पुरुष और महिला की हरकतें संदिग्ध पाई गईं. उसके बाद रेल पुलिस की विशेष टीम ने उस बच्चे को बरामद करने के लिए बिहार के कई जिलों के साथ ही यूपी के बलिया तक के स्टेशनों का सीसीटीवी फुटेज खंगाला, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. 

फिर रेल पुलिस ने टावर डंपिंग और तकनीक के माध्यम से बच्चे का अपहरण करने वाले की पहचान विदुपुर के अर्जुन कुमार और सदर थाना क्षेत्र के किरण देवी के रूप मे की. दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. उसकी निशानदेही पर एक अन्य आरोपी सोनू कुमार की गिरफ़्तारी हुई. सोनू ने बताया कि गायब बच्चा पटोरी मे एक दंपति अनिल कुमार और गुड़िया देवी के पास है. रेल पुलिस ने बच्चे को बरामद करते हुए दंपति के साथ उसी गांव की नर्स मुन्नी कुमारी को भी धर दबोचा. 

बताया जा रहा है कि मुन्नी इस पूरी घटना के मास्टरमाइंड डॉ. अविनाश की सहयोगी हैं. दरअसल, बच्चा गायब करने वाले सोनू ने पुलिस को बताया कि उसका गैंग रात के समय विभिन्न स्टेशनों पर बच्चा गायब करने के लिए रेकी करते हैं और ये सब शाहपुर पटोरी के एक डॉक्टर अविनाश कुमार के कहने पर करते है. गिरफ्तार किए गए सोनू का कहना है कि डॉ. अविनाश ने उसे साढ़े 3 लाख रुपये दिए थे. आरोप है कि डॉक्टर ने सोनू के माध्यम से अर्जुन और किरण को बच्चा लाने को कहा था. उन्हें 1 लाख 20 हजार रुपये दिए गए तो सोनू को 1 लाख 30 हजार रुपये मिले.

रेल पुलिस ने जब इस कांड का खुलासा किया तो पता चला कि इस गैंग में शामिल महिला और पुरुष बिहार के कई स्टेशनों पर रात के समय रेकी करते हैं. जो माता-पिता सोए पाए जाते हैं, उनके बच्चे को गायब करने के बाद ये लोग वैसे माता पिता को सौंप देते हैं, जिनके बच्चे नहीं हो रहे. इस पूरे मामले में डॉक्टर की अहम भूमिका होती है. मुजफ्फरपुर रेल एसपी वीणा कुमारी ने बरामद बच्चे को उसके परिजन को सौंप दिया है. 

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